My Poetry! My world in my words Copyright © by Ravi Khurana. All rights reserved.
नटखट कान्हा, मुझे बताना; कब दौड़े-दौड़े आओगे. शाम सलोनी भोली सूरत, कब हमको दिखलाओगे. इतने छोटे, भोले-भाले, क्या-क्या तुम कर पाओगे. प्रेम और मोह का ये अंतर, कैसे इस जग को समझाओगे. नटखट कान्हा, मुझे बताना; कब दौड़े-दौड़े आओगे.
-Ravi Khurana
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