ज्ञानी जो तो को ज्ञान का अहंकार
काहे करत तू ओ को प्रचार
कोई न जाने जिसका अंत
तू भी उसको नाम सुमार
जो मुख ते बोले राम राम
तो क्यों मन रखेयो पाप
मन के बिछड़े कौन मिलाई
जो जन तूद्ध में मैं खो जाई
मेरे मालिक इक तेरी आसीस
मृत लोक भी लागे बक्सीस
रवि खुराना
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