Thursday, December 24, 2009

मेरे नही हो क्या तुम

आज फिर चाहते क्यूँ फ़ना हो गयी
आज फिर रास्ते क्यूँ जुदा हो गए

आज फिर क्यूँ लगा
मेरे नही हो क्या तुम

आज फिर सोच कर आंसू बहने लगे
आज फिर गज़ले हम क्यूँ कहने लगे

आज फिर क्यूँ लगा
मेरे नही हो क्या तुम

आज फिर तेरी आँखों की याद आने लगी
आज फिर हर तरफ ये ग़मी छाने लगी

आज फिर क्यूँ लगा
मेरे नही हो क्या तुम

तेरे धोखों पे भी प्यार आने लगा
जाने मैं क्यों आज फिर मुस्कुराने लगा

मुस्कुराते हुए ख्याल आया है क्यूँ
मेरे नही हो क्या तुम

सांस ये चल रही, धड़कने क्यों रुकी
मैं तो ठहरा रहा, ज़िन्दगी चली गयी

आज फिर क्यूँ लगा
मेरे नही हो क्या तुम

रवि खुराना

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